डॉ. घनश्याम नाथ कच्छावा एक प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं, जिन्होंने हिंदी और राजस्थानी भाषाओं में कई महत्वपूर्ण कृतियाँ प्रस्तुत की हैं। उनकी प्रमुख पुस्तकों में शामिल हैं:
यह राजस्थानी लघुकथा संग्रह 2006 में प्रकाशित हुआ, जिसमें समाज की विविध परिस्थितियों का संवेदनशील चित्रण है।
यह हिंदी कविता संग्रह पर्यावरण व मानवता के प्रति संवेदनशीलता के लिए 'श्री जागृति बुक ऑफ द ईयर' से सम्मानित है।
यह पुस्तक बच्चों के लिए 100 ज्ञानवर्धक पहेलियों का संग्रह है, जो उनकी सोचने की क्षमता विकसित करती है।
2012 में प्रकाशित इस राजस्थानी कविता संग्रह में जीवन के विभिन्न पहलुओं को कविताओं के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है।
यह राजस्थानी लघुकथा संग्रह 2021 में प्रकाशित, समाज की ज्वलंत समस्याओं को उजागर करता है।
यह पुस्तक राजस्थानी भाषा के 25 गीतकारों के गीतों का संकलन है, जिसका संपादन डॉ. दिनेश कुमार जांगिड़ 'सारंग' ने किया है।
संस्थान लोक कला, पारंपरिक संगीत, और नृत्य की सांस्कृतिक धरोहर को बचाने के लिए कार्य करता है। यह राजस्थानी वाद्ययंत्र, लोकगीत, और नृत्य शैली के संरक्षण के लिए कार्यशालाएं और कार्यक्रम आयोजित करता है।
संस्थान राजस्थानी साहित्य के लेखकों और कवियों को प्रोत्साहित करता है, और उनके कार्यों का प्रकाशन करता है। इसके साथ ही, संस्थान विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रम, सम्मेलन और संगोष्ठियों का आयोजन करता है ताकि साहित्यिक संवाद को बढ़ावा मिले।
संस्थान राजस्थानी संस्कृति और कला को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए प्रदर्शनी, काव्य पाठ, संगीत समारोह और नृत्य प्रदर्शन आयोजित करता है। यह कार्यक्रम न केवल कला और संस्कृति के प्रचार के लिए हैं, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का एक प्रयास भी है।
यह संस्थान युवा कलाकारों और साहित्यकारों को अपनी कला और साहित्य को प्रदर्शित करने का मंच प्रदान करता है। संस्थान उन्हें प्रोत्साहित करने के लिए पुरस्कार और सम्मान समारोह आयोजित करता है।
Are there any leftovers in the kitchen? that's not on the roadmap, or drink from the firehose, nor time vampire what about scaling components to a global audience